तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को लेकर अमेरिकी संसद में एक प्रस्ताव पेश किया गया है। इसमें वैश्विक शांति और अहिंसा को लेकर दलाई लामा की प्रतिबद्धता की सराहना की गई है। यह माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव से चीन भड़क सकता है।
उनके काम को रेखांकित किया गया
अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में चार सांसदों के एक समूह ने यह प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में तिब्बत और तिब्बती लोगों की वास्तविक स्वायत्तता के साथ ही वैश्विक शांति व सौहार्द को बढ़ावा देने की दिशा में 14वें दलाई लामा की ओर से किए गए काम को रेखांकित किया गया है। प्रस्ताव में तिब्बत के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ ही अमेरिकी नागरिकों और तिब्बती लोगों के बीच गहरे जुड़ाव का भी उल्लेख किया गया है।
इस प्रस्ताव को टेड योहो, माइकल मैककॉल, क्रिस स्मिथ और जॉर्ज मैकगवर्न ने पेश किया। यह प्रस्ताव लाए जाने से कुछ हफ्ते पहले ही धार्मिक आजादी मामले के अमेरिकी दूत सैमुअल डी ब्राउनबैक ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जाकर दलाई लामा से मुलाकात की थी। उन्होंने तिब्बती आध्यात्मिक गुरु से धार्मिक आजादी की प्रगति मसले पर चर्चा की थी। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा 1959 से ही धर्मशाला में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सैमयुल ने कहा, अपना उत्तराधिकारी चुनने का है अधिकार
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी राजदूत सैमयुल डी ब्राउनबैक ने पिछले दिनों मैक्लोडगंज में तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा से मुलाकात की। उन्होंने कहा धर्मगुरु को अपना उत्तराधिकारी चुनने की तिब्बती बौद्ध प्रणाली शुरू से ही चलती आ रही है, इसलिए दलाईलामा को ही उत्तराधिकारी चुनने का हक है। यात्रा के दौरान अमेरिकी राजदूत ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष एवं निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये सहित अन्यों से भी मुलाकात की।
इस दौरान समुदाय से संबंधित कई विषयों पर चर्चा हुई। बकौल सैमयुल, दलाईलामा मध्य मार्ग नीति में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा, यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट संदेश देना है कि अमेरिका तिब्बतियों और दलाईलामा का समर्थन करता है। अमेरिकी राजदूत ने कहा कि दलाईलामा का उत्तराधिकारी चुनने की शुरुआत तिब्बती बौद्ध प्रणाली, दलाईलामा और अन्य तिब्बती बौद्ध नेताओं ने की है और किसी ओर से इसका कोई संबंध नहीं है।